Sunday 27 December 2015

फ्री बेसिक्स का झूठ

हम भारतीयें को अंग्रेजी का एक शब्द सबसे ज्यादा भाता है- "फ्री"
"एक के साथ एक फ्री" के चक्कर में दुनिया के सबसे पिटे हुए प्रोडक्ट भी हमारे यहां हिट हो जाते है...फ्री में कुछ भी मिले तो दिन भर लाईन लगाना भी गवारा है...क्योंकि 'समय' बहुत 'फ्री' है हमारे पास... अजी साहब "फ्री" के लालच में तो हम सरकारें भी बदल देते है...😄

याद रखिएगा कि "दुनिया में सिर्फ वही लोग छले जाते है जो लालची होते है"

अभी "फ्री-बेसिक्स" का लुभावना लाॅलीपाॅप परोसा जा रहा है बिजनेसिया न केवल फ्री में कुछ दे रहा बल्कि इसके लिए जोर जोर-शोर से अभियान चला रहा है...अखबारों में फुल-फुल पन्ने का विज्ञापन दे रहा है। आपसे इस कथित शुभ कार्य के लिए मेल , मैसेज और मिस काॅल मात्र का सहयोग ले रहा है....इमोशनली समझा रहा है कि गरीबों को फ्री बेसिक्स दिलवाना है....

मान गए जुकरबर्ग भाई, क्या खूब नब्ज पकड़ी हा हम भारतीयों की...

लेकिन ये तमाम प्रयास किसके हित में?

तो समझिए, फेसबुक रिलायंस आदि न तो किसी सनक में हैं, न किसी उपकार की मनोदशा में.... सिक्का दिखाकर ,चवन्नी देकर अठन्नी छीनने की चालाकी है "फ्री बेसिक्स"

फ्री बेसिक्स छलावा है....ज़करबर्ग का एक ढोंग है.... मुफ्त इंटरनेट देने की बात कह कर वो ऐसा खेल खेलना चाहता है जिसका अंदाज़ा आप साल-दो साल से पहले नहीं लगा सकेंगे.... भारत के हर घर तक इंटरनेट पहुंचाने का बहुप्रचारित उद्देश्य अपने असली टारगेट को छिपाने का मुखौटा है......पहले ये लोग नेट न्यूट्रलिटी के मसले पर नंगे हो चुके हैं लेकिन इस बार चाल पुख्ता है....

इंटरनेट पर कब्जा करके कंपनी आपकी हर हरकत पर नज़र रखेगी.... आप नहीं जानते कि इस डाटा की आने वाले समय में कितनी मांग है. भविष्य के बाजार को समझने के बाद ही फेसबुक ने ये दांव खेला है... आपकी प्राइवेसी के उल्लंघन का लाइसेंस आपसे ही साइन करवा के हासिल किया जा रहा है....चूंकि एक आदमी इसे साइन कर रहा है इसलिए आप भी किए जा रहे हैं.. ऐसी चूहा दौड़ में मत पड़िए...🙏🏼

TRAI सलाह चाहता है.. अब आप लोग आज़ाद इंटरनेट चाहते हैं या कुछ वक्त के लिए मुफ्त लेकिन इनसिक्योर इंटरनेट..

तय कीजिए....🙏🏼
-पारस